मेरी कश्ती
मेरी कश्ती कहीं मझधार में
गोते लगाएगी,
ना सोचा था मेरी जिन्दगी
मुझको ही गवाएगी।
ख्वाबों की बारिश में
हमने आंखें बंद कर ली,
पलकों से उतरकर वो
मेरा सीना जलाएगी।
खुदा के घर पर
मुझे उसने बुलाया था,
इबादत प्यार की पढ़कर
मुझे मूरत बनाएगी।
- ख़ामोश
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