Monday, November 19, 2012

नींद गयी सब

नींद गयी सब 

नींद गयी सब चैन गया सब 
तुम से बिछड़ कर रैन गया सब, 
सपनों की रंगी चादर पर 
कला रंग सा कोई फ़ैल गया अब।

वो वक़्त का उजला चंदा सा 
सुबह की रंगी किरणें सी, 
बस प्यार की छाया प्यार का दर्पण 
पलकों के पीछे रह गया अब।

वो महकी जुल्फें और खोई आंखें 
कैसे भूलूँ मैं वो लम्हें,
कुछ चंद टुकड़े कुछ चंद यादें 
होठों पे बसकर रह गया अब।
                                             - ख़ामोश 


No comments:

Post a Comment