नींद गयी सब
नींद गयी सब चैन गया सब
तुम से बिछड़ कर रैन गया सब,
सपनों की रंगी चादर पर
कला रंग सा कोई फ़ैल गया अब।
वो वक़्त का उजला चंदा सा
सुबह की रंगी किरणें सी,
बस प्यार की छाया प्यार का दर्पण
पलकों के पीछे रह गया अब।
वो महकी जुल्फें और खोई आंखें
कैसे भूलूँ मैं वो लम्हें,
कुछ चंद टुकड़े कुछ चंद यादें
होठों पे बसकर रह गया अब।
- ख़ामोश
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