मेरे कांधे पे तेरा दर्द
मेरे कांधे पे
तेरा दर्द है,
मैं गिरा भी नहीं सकता
उठा भी नहीं सकता।
दुनिया कहती है के
प्यार ना करो,
मंदिर में दिया बनकर ग़र
खुद को जला नहीं सकता।
राह में बैठा है ख़ामोश
इस कदर कब तक बैठेगा,
वापस ही आजा ग़र
आगे जा नहीं सकता।
जलते सितारों को समझ
देखो राख हो रहें हैं,
राशनी दे नहीं सकता ग़र
तो बुझा भी नहीं सकता।
- ख़ामोश
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