कांश मैं होता वो शीतल जल
उन हिमालय की चट्टानों के
ऊँचे शिखर पर,
पिंघलती बर्फ का ठण्डा पानी
करता हुआ कल-कल,
कांश मैं होता वो शीतल जल।
ले संग कुछ कंकड़ पत्थर
बनके झरना कोई तत्पर,
हरी दिशाओं को कहता कहानी
वो छनता हुआ ठंडा पानी,
करता हुआ कल-कल,
कांश मैं होता वो शीतल जल।
वो बहती छोटी सी धारा
नाहता है जिसमें जग सारा,
कुछ छंद मिले कुछ फूल मिले
और सबके मन का मैल लिए,
वो बहता हुआ ठंडा पानी
करता हुआ कल-कल,
कंश मैं होता वो शीतल जल।
- ख़ामोश
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