तन्हाईयां
आज हमें तन्हाईयां
उदास करतीं है,
आज हमनें लकीरों में
तेरा चेहरा बनाया है।
अपने जज्बातों में सिमटकर
छलकने को हैं आंखें,
अपनी दर्द-ए-मोहब्बत में
दिल तड़पाया है।
क्यूँ न कहें वक़्त को सितमगर
सितम किये हैं हजार,
थोड़ी सी ख़ुशी दी क्या
ग़म बरसाया है।
होंठ सिमटें हैं मोहब्बत में
आह भर-भर कर,
'ख़ामोश' क्या कह सकेगा
सिर्फ तेरा नाम आया है।
- ख़ामोश
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