एक दीप जलाना है
आशा के चिरागों से
कहीं दूर मुझे चलकर,
पलकों के झरोकों में
एक दीप जलाना है।
ख्वाबों में गया हूँ बहुत
मन के डगर से चलकर,
दिल से हो जुड़ा कोई
एक ख्वाब बनाना है।
आँखों से रोये हैं बहुत
हलकी सी चुभन लेकर,
यादों में बसा कोई
एक दर्द जगाना है।
अपनों को चाह बहुत
जीवन के सफ़र में चलकर,
रूह से हो जुड़ा कोई
एक प्यार बसना है।
- ख़ामोश
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