बादलों के परे
आँखों में कोई
दर्द सा हुआ,
ख्वाब कोई तो
जला होगा।
पलकों में थमीं
दो-एक बूँदें,
यादों का बदल
बरसा होगा।
तन्हा होकर कोई
एक कोने में छुपा,
कितना जुल्म उसने
सहा होगा।
होठों पे दबी
एक छोटी से हंसी,
न जाने कितना गम
छुपा होगा।
किससे हो शिकायत
केसे हो शिकायत,
कोई तो कहीं
अपना होगा।
ख़ामोशी में बैठा
आसमां तले,
बादलों के परे
कोई देखता होगा।
- ख़ामोश
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