कमल
इस कमल पर जब पड़ी
सूरज की पहली किरण,
जग उठी खोई तरंग
बन के शायद कोई उमंग।
बज उठा मुझमे संगीत
हवा बनने लगी थी गीत,
इस कमल पर जब पड़ी
सूरज की पहली किरण।
खिल गयी वो पंखुरी
निर्जीव बनके थी पड़ी,
इस कमल पर जब पड़ी
सूरज की पहली किरण।
यूँ ही तिमिर में बंद था
लगने लगा कोई रंग सा,
इस कमल पर जब पड़ी
सूरज की पहली किरण।
- ख़ामोश
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