मीठा दर्द
संगदिल है मीठा दर्द
जो न छुपे, न सामने आये
बस तन्हा रातों में
पलकों में छुपा
अपने अफ़साने गाए।
कभी बदनाम ने हो
और की निगाहों में
कभी नाकाम न हो
चुप-चुप सी आहों में
होकर गुमनाम खुद ही
तड़पते होठों पर मुस्कुराए।
संगदिल है मीठा दर्द
जो न छुपे, न सामने आये।
- ख़ामोश
- ख़ामोश
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