वो संगीत जाने कहाँ है
वो संगीत जाने कहाँ है
जिसे ढूँढता था मैं
पानी की बूंदों में
कभी बारिश में
कभी छलकते कसोरों में।
वो संगीत जाने कहाँ है
जिसे ढूँढता था मैं
गाँव की गोरी की
कभी चूड़ी में
कभी पायल में।
वो संगीत जाने कहाँ है
जिसे ढूँढता था मैं
भोले बैलों की
कभी घंटी में
कभी हल में।
वो संगीत जाने कहाँ है
जिसे ढूँढता था में
किसी फ़क़ीर की
कभी वीणा में
कभी चिमटे में।
वो संगीत जाने कहाँ है
जिसे ढूँढता था मैं
पानी के कुए की
कभी रस्सी में
कभी बाल्टी में।
वो संगीत जाने कहा है
जिसे ढूँढता था मैं
अपने पड़ोसिओं की
कभी ख़ुशी मैं
कभी प्रेम में।
वो संगीत जाने कहाँ है
जिसे ढूँढता था मैं
अपने गाँव की
कभी ठंडी सुबह में
कभी गोधुली बेला में।
- ख़ामोश
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