Monday, November 19, 2012

वो संगीत जाने कहाँ है

  वो संगीत जाने कहाँ है 

वो संगीत जाने कहाँ है 
जिसे ढूँढता था मैं 
पानी की बूंदों में 
कभी बारिश में 
कभी छलकते कसोरों में।

वो संगीत जाने कहाँ है 
जिसे ढूँढता था मैं 
गाँव की गोरी की 
कभी चूड़ी में 
कभी पायल में।

वो संगीत जाने कहाँ है 
जिसे ढूँढता था मैं 
भोले बैलों की 
कभी घंटी में 
कभी हल में।

वो संगीत जाने कहाँ है 
जिसे ढूँढता था में 
किसी फ़क़ीर की 
कभी वीणा में
कभी चिमटे में।

वो संगीत जाने कहाँ है 
जिसे ढूँढता था मैं 
पानी के कुए की 
कभी रस्सी में
कभी बाल्टी में।

वो संगीत जाने कहा है 
जिसे ढूँढता था मैं
अपने पड़ोसिओं की 
कभी ख़ुशी मैं 
कभी प्रेम में।

वो संगीत जाने कहाँ है 
जिसे ढूँढता था मैं 
अपने गाँव की
कभी ठंडी सुबह में
कभी गोधुली बेला में।
                                         - ख़ामोश 

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