मुश्किल सा हो गया है
तुम्हे सुनाए कैसे हाल-ए-दिल
सुनाना मुश्किल सा हो गया है,
के कश्ती पानी में आ गयी क्या
चलाना मुश्किल सा हो गया है।
हमारे होठों पर कपकपी सी
ये दास्तां क्या सुना रही है,
के आह मंजर सा बन गयी क्या
छुपाना मुश्किल सा हो गया है।
हमारे ख्वाबों में आना हर दिन
तुम्हारी आदत सी हो गयी है,
के दिल मोहब्बत में आ गया क्या,
मनाना मुश्किल सा हो गया है।
- ख़ामोश
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