लो तुमको उपहार में दूं
मुझ पंकज की जीवन संज्ञा
वो सूरज की पहली किरणें,
उन किरणों को संचित करके
लो तुमको उपहार में दूं।
मुझ जलज की कोमल पंखुरी
उनमें छुपके ओंस के मोती,
उन मोती को संचित करके
लो तुमको उपहार में दूं।
छिपे संख सीप और मोती
मेरे समुन्दर के अन्दर भी,
अगर किनारा बन जाओ तो
लो तुमको उपहार में दूं।
- ख़ामोश
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