खुदा मुझे माफ़ करे
मैं अपनी चोखट पर बैठा
कुछ चंद सिक्के गिन रहा था,
अपने होटों की लकीरों को
सुई से बुन रहा था।
कितना अजीब है ये सफ़र
कितना गरीब है ये सफ़र,
मोह्हबत ख़रीदने के लिए
एक फ़कीर चुन रहा था।
खुदा मुझे माफ़ करे
मैं बड़ा मतलबी हूँ,
'ख़ामोश' की पुकार पर भी
मैं सिर्फ़ अपनी सुन रहा था।
-ख़ामोश
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