कौन हो तुम
कितने मधु का सार लिए
कितने रंगों को अपार लिए
कौन हो तुम यौवन की कलि
आँखों में सुन्हेरा ख्वाब लिए।
अनबन सी करती पलकें लिए
लुकती-छुपती मुस्कान लिए
कौन हो तुम महका सा गुलाब
खुशबू का घना संसार लिए।
आँखों में घनी मधुशाला लिए
होटों पे रस का प्याला लिए
कौन हो तुम पुष्पों की छठा
सावन के मद का हाला लिए।
-ख़ामोश
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