तू कब आएगी
यादों की धूप में
तेरे बिना मेरा कतरा-कतरा
सूख गया है,
एक अंजान से सफ़र में
मैं अकेला तन्हा-तन्हा
न जाने कहाँ खो गया हूँ
अपने सूखे होटों से
तेरे प्यार की नरमी चिपकाए,
न जानें तू कब
बारिश बनकर आयेगी।
- ख़ामोश
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