तेरी खामोशियों ने
तेरी खामोशियों ने
मेरे दर्द को पहचान लिया,
जो न समझा किसी ने भी
वो तुमने जान लिया।
क्या कहें सितमगर तो चला गया
सितम करके,
जख्मों को मेरे तुमने
अपना मान लिया।
बेपनाह था मैं न जानें
कितनी मुद्दतो से,
अपने दिल में घर के
मुझे अपना नाम दिया।
क्यूँ मैं खुदा के पास जाऊ
खुदा कहा है,
जब फरिश्तों ने ही मुझे
अपना मान लिय।
- ख़ामोश
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