Friday, November 9, 2012

क्यूँ

क्यूँ 

क्यूँ आज तुम्हारी आँखों में 
एक नूर दीवाना चमक रहा है,
आशा की किरणे बिखरा कर 
एक प्रेम कहानी संवर रहा है।

विचलित मन में चंचल तिनके 
एक साज नया सा बना रहें हैं,
तिनका तिनका सिमट सिमट कर 
एक घर प्यारा सा बना रहे हैं।

इन कोमल अधरों पर मानों  
कोई राग दीवाना थिरक रहा है,
मुझको भी बतला दो ये क्यूँ 
मेरी धड़कन में सिमट रहा है।
                                                                     - ख़ामोश 

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