Tuesday, November 13, 2012

बादलों के परे

बादलों के परे 

आँखों में कोई 
दर्द सा हुआ,
 ख्वाब कोई तो 
जला होगा।

पलकों में थमीं 
दो-एक बूँदें, 
यादों का बदल 
बरसा होगा।

तन्हा होकर कोई 
एक कोने में छुपा, 
कितना जुल्म उसने 
सहा होगा।

होठों पे दबी 
एक छोटी से हंसी, 
न जाने कितना गम 
छुपा होगा।

किससे हो शिकायत 
केसे हो शिकायत, 
कोई तो कहीं
अपना होगा।

ख़ामोशी में बैठा 
 आसमां तले, 
बादलों के परे 
कोई देखता होगा।
                                      - ख़ामोश 

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