शब्दों की हेरा फेरी में,
एक अनजान पहेली में,
उलझे धागों में बंधी सी,
जीवन की नोका अंधी सी,
क्यूँ बेकार का डेरा है,
क्या इसके बाद सवेरा है,
ये पूछे आभा अंधी सी,
मेरे जीवन की संगी सी।
-ख़ामोश
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